शब्दों की गहराइयाँ सागर की गहराइयों से गहरी..
शब्दों के नोक तीरों की नोक से ज़्यादा तीखे शब्दों की मिठास शहद से ज़्यादा मीठी ..
शब्दों की चंचलता किसी अल्हड़ गोरी से ज़्यादा चंचल..
शब्द वो जो अपनों से जोड़े और किसीसे ना तोड़े..
शब्द वो जिसकी मीठी अनुगूँज हर घड़ी सुनायी दे ..
शब्द वो जो तेरी आवाज़ में मेरा लहजा सुनाई दे ..
शब्द वो जिसके आधार आप हों और रचना मेरी
शब्द वो जो आकर मेरे साकार तुझसे हों
शब्द वो जो तेरे सवालों का प्रत्युत्तर “प्रेम” से हो
शब्द वो जो मेरी विरह वेदन का दर्पण हो
शब्द वो जो “निवेदन”मेरा और “निवेदित” तुझसे हो
शब्द वो जिन्हें सुन तुम कहो “निवेदिता” तुम मेरी हो
शब्द वो जो पर ब्रह्म, हरी का ,हर” का, मेरी प्रार्थना स्वीकार करें
शब्द वो जो निवेदिता के निवेदन से
मेरे निकेतन में अनिकेत (शिव) का वास करें
शब्द वो जो मेरे हों और पूर्ण तेरी कविता को करें.. “निवेदिता”
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