लिहाफ़

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यूँ मेरे ख़त का जवाब आया,
लिफाफे में बंद एक गुलाब आया,
खोलते ही नज़र जो मेरी फूल,
पे पड़ी तेरी सूरत पे भी मुझे प्यार आया ;..

तुम दूर खड़े मुझे ताका करते थे,
उस भीड़ में तुम्हारा दीदार आया,
जब सबने मुझसे पुछा कौन हैं वोह,
तोह जवाब में होठों पे मुस्कान,
और नज़रों पे शर्म का पर्दा नज़र आया ;…

सर्द रात को खड़ी थी तुम्हारे इंतज़ार में,
दरवाज़े पर आह्ट ज़रा होले सी हुई,
तुमहें देख मेरे पैर जमीन पर ना रुके,
और देखते ही दौड़ कर तुम्हे गले लगाया ;..

तुमने भी टीस मेरे दिल की समझी,
बाँहों में भरकर होठों से मुझे सहलाया,
नज़रें झुकी और ज्यों ही मुझे होश आया,
शर्म से मैंने नाखून को दांतों तलेदबाया;..

रात जवान थी और हम बेसब्र,
हाथ जम गए पैर भी बर्फ हो रहे थे,
तुम्हारे गर्म स्पर्श से बर्फ पिहल रही थी,
चुमबकिया स्पर्श था तुम्हारा छूटना मुश्किल था ;…
चाहकर भी यह जिस्म अघोष का बंधन छुडा ना पाया….

नज़रों ने किया इशारा बत्ती भी तुमने भुझाया
ठिठुरन को दूर करने को लिहाफ नज़र आया ……… ” निवेदिता”

10 responses to “लिहाफ़”

  1. Bhaatdal Mam ( Nivedita ) & Dheeraj Sir : both my Readers of Book : Journey from Guwahati to Machhiwara . And both have Reviewed my Book & put it on their Blogs . No way to say Thank You note to them . #Bloggers rock .

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    1. You are welcome Sir , Dhirajji is the inspiration to write the review ..

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    2. @rajivbakshi sir call me jyotsna or nivedita u like so

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  2. Nisthur Anadi Avatar
    Nisthur Anadi

    Khubsurat!

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    1. Thankyou for appreciating:)

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      1. Nisthur Anadi Avatar
        Nisthur Anadi

        Pleasure is all mine !

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  3. Thank you Dheeraj Ji. I am so glad you liked my work . 🙂

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  4. बहुत बढ़िया प्रस्तुतीकरण है निवेदिता जी।

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